जाने ज़हन क्या है मेरा दिल क्या है
कौन जाने के मेरा मुस्तकबिल क्या है
मेरे कदम जिन रास्तों पर चले हैँ
क्या खबर उस सफर की मंजिल क्या है
आज कल तन्हाई में खुद की आदत हे
कौन जाने कि तेरी ये मेहफिल क्या है
दिल दरिया है तो निगाह समन्दर है
डूबने वाला क्या जाने कि साहिल क्या है
मैं और मेरी ज़िन्दगी दोनों नईम हैँ
मुझको नहीं मालूम कि मुश्किल क्या है
Sunday 12 July 2009
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