Sunday, 12 July 2009

मैं और मेरी ज़िन्दगी दोनों नईम हैँ

जाने ज़हन क्या है मेरा दिल क्या है
कौन जाने के मेरा मुस्तकबिल क्या है

मेरे कदम जिन रास्तों पर चले हैँ
क्या खबर उस सफर की मंजिल क्या है

आज कल तन्हाई में खुद की आदत हे
कौन जाने कि तेरी ये मेहफिल क्या है

दिल दरिया है तो निगाह समन्दर है
डूबने वाला क्या जाने कि साहिल क्या है

मैं और मेरी ज़िन्दगी दोनों नईम हैँ
मुझको नहीं मालूम कि मुश्किल क्या है

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