बेखुदी में मैकदा ढूँढता हूँ
क्या मैं होके तुमसे जुदा ढूँढता हूँ
वो रहते हैं मन्दिर मसजिदों में
मैं अपने दिल में ख़ुदा ढूँढता हूँ
ये ज़िन्दगी भी है समन्दर की तरह
मंजिल के लिये मैं नाख़ुदा ढूँढता हूँ
जो ख़ुद से मिला कर बिछड़ गया
बड़ी शिद्दत से वो गुमशुदा ढूँढता हूँ
तू नहीं तो जीने का एहसास नही
अपने दिल के धडकनों की सदा ढूँढता हूँ
Sunday 12 July 2009
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Aapko apki gumshuda mil jaaye ham Allah se dua mangte hain.
ReplyDeletehttp://roshani-sahu.blogspot.com/